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27 Oct 2021 · 1 min read

यह देखो मिट्टी की हटरी (बाल कविता)

यह देखो मिट्टी की हटरी ( बाल कविता )
“”””””””””””””””””‘”””””””””””””””””””””””””””””
यह देखो मिट्टी की हटरी
(1)
लाल गुलाबी .नीली पीली
मजबूती में है यह ढीली
ठसक न इसको लगने देना
बिखरेगी वरना ज्यों खीली
कहती रखो बाँधकर गठरी
यह देखो मिट्टी की हटरी
(2)
दीवाली पर पूजी जाती
हटरी जीवन- सत्य बताती
मिट्टी का तन मिट्टी का मन
हटरी क्षणभंगुर कहलाती
बैठी नहीं किसी से पटरी
यह देखो मिट्टी की हटरी
“”””””””””””””””””‘”””‘”””””””””””””””””””””””
रचयिता:रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 9997 615451

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