हक्का बक्का
जिंदगी की दौड़ में,
तजुर्बा कच्चा ही रह गया।
हम सीख ना पाए फरेब,
दिल बच्चा ही रह गया।
किया खूब भरोसा मैनें,
गैरों के प्यार पर।
अपने से हार कर तो,
हक्का बक्का ही रह गया।
खाली हाथ भेजा उसने,
खाली हाथ बुलाया।
आज तक उसका हिसाब
सच्चा था सच्चा रह ही गया।
न मांगे कोई देवी बकरा,
न खुदा ने मुर्गा खाया।
पाखण्डियों से धर्म,
कहाँ अच्छा ही रह गया?