पात उगेंगे पुनः नये,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जानबूझकर कभी जहर खाया नहीं जाता
*सास और बहू के बदलते तेवर (हास्य व्यंग्य)*
प्रश्नपत्र को पढ़ने से यदि आप को पता चल जाय कि आप को कौन से
ज़िन्दगी तुमको ढूंढ ही लेगी
मेरी ख़्वाहिश वफ़ा सुन ले,
खेल खेल में छूट न जाए जीवन की ये रेल।
मजबूरियों से ज़िन्दा रहा,शौक में मारा गया
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी