दो टांगों वाले "भेड़िए" कम थे क्या, जो चार टांगों वाले भी आ ग
लापता सिर्फ़ लेडीज नहीं, हम मर्द भी रहे हैं। हम भी खो गए हैं
*रंगीला रे रंगीला (Song)*
पास के लोगों की अहमियत का पता नहीं चलता
ग़ज़ल _ आराधना करूं मैं या मैं करूं इबादत।
यारों की महफ़िल सजे ज़माना हो गया,
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
बहुत ही घना है अंधेरा घृणा का
हिंदी दिवस पर हिंदी भाषा :मेरे कुछ मुक्तक
प्रेम गजब है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
अभी कहाँ विश्रांति, कार्य हैं बहुत अधूरा।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
क़दर करके क़दर हासिल हुआ करती ज़माने में