राजे तुम्ही पुन्हा जन्माला आलाच नाही
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
फंस गया हूं तेरी जुल्फों के चक्रव्यूह मैं
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
चलो अयोध्या रामलला के, दर्शन करने चलते हैं (भक्ति गीत)
किसी भी हाल में ये दिलक़शी नहीं होगी,,,,
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
मुझे बेज़ार करने के उसे भी ख़्वाब रहते हैं
तपाक से लगने वाले गले , अब तो हाथ भी ख़ौफ़ से मिलाते हैं
बाबा रामदेव जी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हमेशा दोस्त ही हैं जो हमारे साथ चलते हैं
फर्क़ क्या पढ़ेगा अगर हम ही नहीं होगे तुमारी महफिल
#सकारात्मक_सोच😊 #सकारात्मक_सुबह😊😊 #सकारात्मक_सोमवार 😊😊😊
ग़ज़ल _ खुदगर्जियाँ हावी हुईं ।
जो रिश्ते दिल में पला करते हैं
बौराया मन वाह में ,तनी हुई है देह ।
वो ख्वाबों में सपने संजोती तो होगी
चलो , फिर करते हैं, नामुमकिन को मुमकिन ,