हकदार नहीं होते
ये फूल इस तरह पुर बहार नहीं होते
अगर इनके पहलू में ये ख़ार नहीं होते
ये राहे शौक है यहाँ भटकना तय है
इसमें मन्ज़िल के कोई आसार नहीं होते
अपने दर्द मे हमदर्द तुम खुद ही बनो
बेमतलब तो लोग गमख्वार नही होते
हर ख़बर पढ़ते ही सच मान ली जाये
इतने सच्चे तो अब अख़बार नहीं होते
एक दूसरे की ख़बरो ख़ैरियत लेते रहो
राब्ता कायम रहे तो रिश्ते बीमार नहीं होते
मत किया करो उसे इस तरह याद ‘अर्श ‘
बेवफ़ा लोग तवज्जो के हकदार नहीं होते