*~ हंसी ~*
आजकल अन्दर से जो हंसी फूटती है।
वो खोती जा रही है।
हंसो,मगर इतना ध्यान रखो,
कोई देख ना ले तुम्हें हंसते हुए ।
दुखों से दुनियां भरी पड़ी है,
कहीं वो ये न सोच ले कि तुम उस पर हंस रहे हो।।
कोई गरीब,जो कमजोर हो उसे जब कोई दबंग मार रहा हो तो हंसो।
हंसते हुए ये ध्यान रहे कि दबंग तुम्हे देख रहा हो।
तभी तुम्हारी हंसी का महत्व है ।
क्योंकि उसमें उस दबंग के प्रति समर्थन और तुम्हारी कायरता दिखेंगी।।
उसको खुश करना ही तुम्हारा उद्देश्य है।
ये कटु सत्य है।।
लेकिन कोई भी इंसान ये करने के बाद रात में सो नहीं पाता।
क्योंकि उसका अंतर्मन उसे धिक्करता जरूर है।।
हंसो,जब कोई बड़ा आदमी हस रहा हो ,
भले ही वहां हंसने जैसी कोई बात न हो।
और हां वहां उससे तेज हंसो,
जिससे उसकी निगाह में तुम आ सको ।।
जिससे सबसे बड़े चापलूस तुम कहला सको।।
✍️ प्रियंक उपाध्याय