हंसकर मुझे तू कर विदा
हंसकर मुझे तू कर विदा, तू ऐसे आँसू मत बहा।
आऊं मैं जल्दी वापस, रब से कर तू ऐसी दुहा।।
हंसकर मुझे तू कर विदा——————।।
क्यों सोचती है ऐसा तू ,मैं भूल जाऊँगा तुझे।
यह प्यार कम हो जायेगा, याद करुंगा नहीं तुझे।।
मत तू ऐसा वहम कर, मान तू यह मेरा कहा।
हंसकर मुझे तू कर विदा—————-।।
रखना जलाकर यह चिराग, कम नहीं हो यह रोशनी।
रखना हमेशा खुद को खुश, कम नहीं हो घर चांदनी।
बेख़ुशबु नहीं हो चमन, गुलजार रखना तू यह जहां।
हंसकर मुझे तू कर विदा ———————।।
तेरे लिए क्या लाऊं मैं, अपनी इच्छा बता तू मुझे।
तू तो है मेरी जाने- जां, आयेगी याद बहुत तू मुझे।।
कमजोर मुझको मत तू बना, तू बढ़ा मेरा हौंसला।
हंसकर मुझे तू कर विदा——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)