*हंगामा करने वाले, समझो बस शोर मचाते हैं (हिंदी गजल)*
हंगामा करने वाले, समझो बस शोर मचाते हैं (हिंदी गजल)
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1)
हंगामा करने वाले, समझो बस शोर मचाते हैं
यह हंगामेबाज सिर्फ, चर्चाओं से घबराते हैं
2)
हमने उनसे कहा बहस, करनी है यदि तो बहस करो
उत्तर में वह नारे लाए, नारे सिर्फ लगाते हैं
3)
संवाद-प्रक्रिया तर्क सहित, आगे कहीं न बढ़ जाए
रोड़े शब्दों के पथ पर, इसलिए मूढ़ अटकाते हैं
4)
ऊपर से सब ठीक-ठाक है, अंदर से भारी गड़बड़
षड्यंत्रों के सूत्र अगर, जोड़ो तो सिर चकराते हैं
5)
पूर्वाग्रह से ग्रस्त हुए, पंचों के निर्णय तो देखो
मिलीभगत से कुटिल फैसले, करके यह मुस्काते हैं
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451