हँसी खुशी पाप है
बड़ा आश्चर्य होता है
आपको इतना भी समझ नहीं आता,
कि हँसी खुशी से रहने भर से
कौन सा भारत रत्न है मिलने वाला।
आप नाहक परेशान रहते हैं
चिंता में डूबे रहते हैं
बेवजह अपनी उर्जा बर्बाद करते हैं
खुद पर इतना अत्याचार भला क्यों करते हैं?
मुफ्त की मेरी सलाह पर गौर कीजिए
हंसी खुशी से रहकर
सूकून से जीने का विचार छोड़ दीजिए।
क्या मिलेगा स्वस्थ प्रसन्न खुशहाल रहने से
बल्कि इसका दुष्प्रभाव सहना पड़ेगा
आसपास का माहौल खुशनुमा रहने से
बेवजह आपको भी खुश रहना पड़ेगा
आपका और आपके परिवार का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा,
बीमारियों का आवागमन कम होगा
बेवजह आप सबको बड़ा आलस्य होगा
फिर तो कमाने खाने के सिवा
और कोई काम ही क्या होगा?
कोई आपका हालचाल तक नहीं पूछेगा
आपको दर्द पीड़ा से निजात दिलाने के लिए
आपके मरने की दुआ भी नहीं करेगा
झूठी तसल्ली भी कोई नहीं देगा।
डाक्टर अस्पताल दवाओं का तब भला क्या होगा,
मंदिरों मस्जिदों, देवी देवताओं की चौखट पर
घूम घूम कर मत्था कौन टेकेगा?
आपके रुपयों को जंग ने लगेगा?
क्या होगा इतनी धन दौलत का
जब सब कुछ खोकर आपको,आपके अपनों को
जीने का तजुर्बा ही न हो सकेगा?
अच्छा है मेरी सलाह मानिए
हंसी खुशी से दूर रहने की सौगंध लीजिए,
जीवन रोकर जीने का भरपूर अनुभव लीजिए
बस! फिर से कहता हूँ
हंसी खुशी सबसे बड़ा पाप है
इसके चक्कर में जीवन बर्बाद मत कीजिए,
लंबी उम्र के सपने छोड़ दीजिए और
हमेशा ही रोते रहिए और
जीवन में आगे बढ़ते रहिए।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर