हँसता तू क्यों है बंदे
हँसता तू क्यों है बन्दे
करके तू कारज मन्दे
पछताना पड़ेगा बन्दे
होगा तू अकेला बन्दे
करता क्यों मेरा मेरा
यहाँ कुछ नहीं है तेरा
जगत एक रैन बसेरा
दिल क्यों लगाया बंदे
जगत तो है यह पराया
यहाँ क्यों दिल लगाया
माया का है ढेर लगाया
जाएगा खाली हाथ बंदे
जीवों को क्यों सताता
पाप निशदिन कमाता
पापों का लेखा जोखा
चुकाना तो पड़ेगा बंदे
रिश्वतखोर हैं,भ्रष्टाचारी
तुझ में हैं प्रत्येक बुराई
पाप में नहीं भागी कोई
भूगतेगा तू खुद ही बंदे
छोड़ दे तू काम ये गंदे
संगति कर अच्छी बंदे
जीवन तेरा तर जाएगा
होश में अब आजा बंदे
हँसता तू क्यों है बन्दे
करके तू कारज मन्दे
पछताना पड़ेगा बन्दे
होगा तू अकेला बन्दे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत