हँसकर गुजारी
नित नये दोस्तो से मिल नये मान मिलते है!
उम्र की गिनती रोक कर,हम शान खिलते है!!
सुबह गुज़रती है योग,दौडने,घूमने के बहाने!
फिर दौर चाय की चुस्की अखबार के मुहाने!!
फेसबुक मैसेज से दुआ सलाम का सिलसिला!
कुछ ज़वान है तो कोई हो चुका है पिलपिला!!
अब तलक नही छोडी कारखाने की रिवायत!
घर वालो से न कोई चू चपड नाही शिकायत!!
बाद नहाने-धोने और पूजा-पाठ ,फिर भोजन!
दिन गुज़रे सलामती औ खुशी कटे सौ योजन!!
जिन्दगी का मजा क्योकर कम करू ‘लेनिन’?
हँसकर गुजारी अब तलक ना गिला ‘लेनिन’!!
आने वाली पीढी को बस है यही इक हिदायत!
लम्बी उम्र का उज्र हो,किसी से नही शिकायत!!
मुडकर कभी देखना नही अच्छा बुरा इस सफर!
मस्त कट जाएगी ऐसे ही,बस बाकी है जो डगर!!
मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरछित
बोधिसत्व कस्तूरिया ‘लेनिन’ एडवोकेट,कवि,पत्रकार
202 नीरव निकुजं फेस-2 सिकंदरा आगरा -282007
मो:9412443093