#कुंडलिया//नारी शक्ति रूप
ताक़त निज पहचान कर , त्याग हीनता भाव।
नाच मोर का वाह है , अश्रु आह तक पाँव।।
अश्रु आह तक पाँव , सकारात्मक हैं जीते।
बाकी खुद को कोस , ज़हर ग़म का हैं पीते।
जानो क्षमता मूल , मिटाओ फिर हर आफ़त।
मन जीता जगजीत , शक्तिशाली मन ताक़त।
रोगी हो मन हार के , जीता वही निरोग।
अमन दवा है रोग की , समझें भटके लोग।।
समझें भटके लोग , प्रेम की घर हो गंगा।
नहा खुशी में डूब , न हरिद्वार का पंगा।
सुन प्रीतम की बात , तेज़ गति मन से होगी।
वरना चारों धाम , फिरो बनके तुम रोगी।
ताक़त का मन द्वार है , मन से बाहर भूल।
मन के भीतर रोशनी , स्वर्ग सरिस अनुकूल।।
स्वर्ग सरिस अनुकूल , नरक जीवन मन हारा।
मन काबू कर देख , दोष मिट जाए सारा।
सुन प्रीतम की बात , कर्म से खिलती किस्मत।
आफ़त होगी दूर , लगा कर्मों में ताक़त।
#आर.एस.प्रीतम