सफ़ीना
गिरफ़्त से ज़िन्दगी की किधर जाएगा
ले कर सफ़ीना भवँर में उतर जाएगा
क़ैद में जिनकी सूरज, हो उनको ख़बर
चराग़ है तो कुछ रोशनी कर जाएगा
हैं ग़म की घटायें घिरी, बारिशें बारहा
हौसला है कि दौर ये भी गुज़र जाएगा
मौज़ों की हैं साज़िशें फ़कत, रंज कैसा
बच के मोती रेत पर एक ठहर जायेगा
दिल की ख़लिश को लबों पर न रखना
आदतन इल्ज़ाम लकीरों के सिर जाएगा