सफ़र ज़िंदगी का
सफ़र जिंदगी का ख़तम हो रहा है।
कि साँसों का चलना भी कम हो रहा है।
खुशी है अधूरी बिना ग़म के यारा।
रहो खुश की तुमको भी ग़म हो रहा है।
दिया जिंदगी ने तुम्हें कितना मौका।
क्यों कहते हो फिर तुम सितम हो रहा है।
अकेले है आये अकेले ही जाना।
क्यूँ फिर कारवां का भरम हो रहा है।
जिएं जिंदगी को “कमल” इस तरह से,
लगे की खुदा का करम हो रहा है।