Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Apr 2019 · 1 min read

सफ़र बस का

अपने बस के सफर के अनुभवों को शब्दों में पिरोने का
अतिलघु प्रयास

सफ़र बस का
कितना सुहाना ,
अद्धभुत मनोहर
थोड़ा रिस्की किन्तु,
मध्यम वर्ग की
है ये धरोहर

दचके लेता हुआ ये
सफर है
लंबे समय पर
आती डगर है
कभी मिलती सीट
कभी खड़े खड़े
हो जाता
सफर है

कोई सुनकर
गाना तो
कोई
खेलकर गेम
कोई फेसबुक चलकर
कोई
व्हाट्सएप्प
चैटिंग
से काटता
सफर है

लंबे रुट की
बसों का
गजब सा
सफर
है
सागर हो जाना
तो
मिलती टिकिट
है
रायसेन वालो
का तो
खड़े खड़े ही
आ जाता
नगर है
क्या करें
अपडाउन बालों
की है ये मजबूरी
बचता
समय है

अपनी अपनी मंजिल
का सब
देते
बराबर किराया
उठो , सोचो
“दीप”
होता क्योँ ऐसा
कोई खड़ा
कोई बैठा सीटों पर

जारी…..

Language: Hindi
423 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

4677.*पूर्णिका*
4677.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
- तुम्हारा ख्याल हरदम रहता है -
- तुम्हारा ख्याल हरदम रहता है -
bharat gehlot
नीड़ तुम्हें भी तो चाहिए
नीड़ तुम्हें भी तो चाहिए
आशा शैली
भुलाना ग़लतियाँ सबकी सबक पर याद रख लेना
भुलाना ग़लतियाँ सबकी सबक पर याद रख लेना
आर.एस. 'प्रीतम'
हारे हुए परिंदे को अब सजर याद आता है
हारे हुए परिंदे को अब सजर याद आता है
कवि दीपक बवेजा
दोहे
दोहे
navneet kamal
बोलने को मिली ज़ुबां ही नहीं
बोलने को मिली ज़ुबां ही नहीं
Shweta Soni
मिट्टी का खिलौना न जाने कब टूट जायेगा,
मिट्टी का खिलौना न जाने कब टूट जायेगा,
Anamika Tiwari 'annpurna '
दोहे
दोहे
seema sharma
जय श्रीकृष्ण -चंद दोहे
जय श्रीकृष्ण -चंद दोहे
Om Prakash Nautiyal
के अब चराग़ भी शर्माते हैं देख तेरी सादगी को,
के अब चराग़ भी शर्माते हैं देख तेरी सादगी को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रेम
प्रेम
Dr. Kishan tandon kranti
*यक्ष प्रश्न*
*यक्ष प्रश्न*
Pallavi Mishra
क़ब्र से बाहर निकलअ
क़ब्र से बाहर निकलअ
Shekhar Chandra Mitra
"ठूंस ठूंसकर घूस खाने के बाद भी,
पूर्वार्थ
माना   कि  बल   बहुत  है
माना कि बल बहुत है
Paras Nath Jha
हाइकु (#हिन्दी)
हाइकु (#हिन्दी)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
ज़रूरत मतलब लालच और रिश्ते
ज़रूरत मतलब लालच और रिश्ते
Nitin Kulkarni
दूध का वैज्ञानिक विश्लेषण,
दूध का वैज्ञानिक विश्लेषण,
Anil Kumar Mishra
मम्मी की खीर
मम्मी की खीर
अरशद रसूल बदायूंनी
"दुनिया के बदलने का कोई ग़म नहीं मुझे।
*प्रणय*
बिन बोले ही हो गई, मन  से  मन  की  बात ।
बिन बोले ही हो गई, मन से मन की बात ।
sushil sarna
*आते हैं जग में सदा, जन्म-मृत्यु के मोड़ (कुंडलिया)*
*आते हैं जग में सदा, जन्म-मृत्यु के मोड़ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि
दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि
Dr. Narendra Valmiki
Dad's Tales of Yore
Dad's Tales of Yore
Natasha Stephen
विशाल प्रजापति
विशाल प्रजापति
Vishal Prajapati
कोई और ठिकाना न मिलेगा
कोई और ठिकाना न मिलेगा
Jyoti Roshni
भीड़ में रहते है मगर
भीड़ में रहते है मगर
Chitra Bisht
बहुत खुश हुआ कुछ दिनों के बाद
बहुत खुश हुआ कुछ दिनों के बाद
Rituraj shivem verma
अविश्वास क्यों?
अविश्वास क्यों?
Sudhir srivastava
Loading...