सड़क से संसद
सड़क से संसद तक
मौन डोल रहा है
क्या बात है जो…
सिर्फ डेढ़ आदमी
ही बोल अब रहा है
सब के गहरे राज
वो अपने होठों से खोल रहा है
अपने गहरे से गहरे
दाग और राज को
बिपक्ष की साज़िश बोल रहा है
और उसके हर कहे को…
देश धर्म कांटे पे तोल रहा है
जो उनके बिरुद्ध कुछ बोल रहा है
सरकार और भक्तमंडली
डंडो पे ही उनको तोल रहा है
…सिद्धार्थ