स्वेटर का झमेला
स्कूल मे एक बार,
बड़ा झमेला हो गया,
पढ़ने को हम गये,
वहां तो मेला हो गया…
पहनी थी एक स्वेटर,
मां ने दिया था बुनकर,
सुन्दर सी वो बुनी थी,
कली-फुंदे लिए बनी थी…
बहन जी की निगाह आते ही,
उस स्वेटर पे टिक गयी,
खड़ा किया गया हमें,
फिर और मैडमे पहुंच गयी…
आगे पीछे हमें तो फिर,
खूब घुमाया वहाँ गया,
सीधा उल्टा क्या है ‘फंदा,’
फिर बताया वहां गया…
वह पूरा ही कालखंड,
मेरे ही अध्ययन मे गुजरा,
मै घूम घूम कर के,
हो गया था अधकचरा…
आखिर को मेरी स्वेटर,
उतरवाई मुझसे गयी,
डिजाइन सीखने को फिर
वो बहन जी के घर गयी…
©विवेक’वारिद’*