स्वीकार
तुमने कहा मैंने स्वीकार किया
मैंने कहा तुमने स्वीकार किया
बस एक मौन हाँ में हम तुम बँधे
इसलिये अब तक साथ हम चले
क्यों न कहा हुआ स्वीकार होता ?
अपने से ही तो हर इकरार होता
प्रेम माला में हम तुम है जड़े
इसलिये अब तक साथ हम चले
तुम्हारी हाँ में मुहब्बत छिपी थी
खूबसूरत हर एक भावना सजी थी
रिश्तों की डोर में हम तुम है गुँथे
इसलिये अब तक साथ हम चले
माना कि तूफान का आया था
पकड़ हाथ तुमने ही संभाला था
एक दूजे को थामे हम तुम है थमे
इसलिये अब तक साथ हम चले