स्वास्थ्य तंत्र की खुली पोल
स्वास्थ्य तंत्र की खुली पोल
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बजा है जब से कोराना का ढोल
स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल
पहले से नहीं थी कोई भी तैयारी
तभी तो फैली कोरोना महामारी
स्वास्थ्य तंत्र में बहुत कमजोरियाँ
माथे पे आई पसीने भरी त्यौरियाँ
भ्रष्टाचार का खूब यहाँ बोलबाला
मिलता है हर मद में नया घोटाला
समस्या जब देती है दर पर दस्तक
रक्षक ही उस पल बन जाते भक्षक
बड़ी मछली छोटी को खाती जैसे
निर्बल का हक सबल खाते हैं वैसे
शासन तंत्र में बहुत भारी खामियाँ
खमियाजा भुगतती भावी पीढियाँ
ईमानदारी से गर हों जो सभी काम
सुधरेगी व्यवस्था नहीं होंगें बदनाम
दृढ़ता से क्रियान्वित हो यदि युक्ति
सुखविन्द्र समस्या से मिलेगी मुक्ति
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)