स्वार्थ
देखो वो आये आज मुझे मिलने
जो मुसीबत मे साथ ना चलते
उनको अब माने हम कैसे अपने
स्वार्थ देखकर जो नाम है जपते
प्यार उनसे होगा भी कैसे सच्चा
बचते रहते है जो मिलने से हमे
खेल होगा ये मुकदर का ही
मिलकर भी है जो बिछड़ जाऐ
देखो वो आये आज मुझे मिलने
जो मुसीबत मे साथ ना चलते
उनको अब माने हम कैसे अपने
स्वार्थ देखकर जो नाम है जपते
प्यार उनसे होगा भी कैसे सच्चा
बचते रहते है जो मिलने से हमे
खेल होगा ये मुकदर का ही
मिलकर भी है जो बिछड़ जाऐ