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30 May 2018 · 1 min read

स्वार्थ की भावना

स्वार्थ की भावना

स्वार्थ की भावना से प्रेम किया था।
स्वार्थ सिद्धि पर मख्खी की तरह फेंक दिया था।

जमाने में किसने मोहब्बत का आगाज किया था।
पल भर के लिए क्यों जीना दुस्वार किया था।।।

स्वार्थ की भावना लिये किसने हाथ बढ़ाया था।
लोगो की जिंदगियों का क्यो मखोला उड़ाया था।

लैला और मजनू की प्रेम गाथा को किसने सुनाया था।
हीर और राँझे की वेदना का मर्म की किसने जाना था।।।

स्वार्थ की आड़ में किसने किसको छला था।
आस्तीन का साँप किसने बाजू ओ में पाला था।।।।

किसके मन मे कपट दिल मे चोर छिपा था।
किस भोले भाले का घर उजड़ा था।।।।

स्वार्थ की आंधिया बड़ी लुटेरी होती हैं।
वही सुखी जिसने स्वार्थ को मार गिराया था।।।।

स्वार्थ की भावना से चहु और हाहाकार मचा था।
एक के बाद एक इसमें बर्बाद हुआ था।।।।।

स्वार्थ ने ही अपनो को अपने से दूर किया था।
घर आँगन में और जग में क्लेश किया था।।।।

सोनु नही मिलता स्वार्थ खुद का रखने से।
बिन स्वार्थ से ही सच्चा लोगो को सुख मिला था।।।

रचनाकार
गायत्री सोनु जैन
कॉपीराइट सुरक्षित

Language: Hindi
792 Views

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