स्वार्थी इंसान
मेरे द्वारा रचित एक छोटी सी कविता?
“स्वार्थी इंसान”
ना थी खबर उनको,मेरी एक पल की।
वे अपने लिए ही रोते हैं।
मैने तो बहुत चाहा उन्हें लेकिन
वे मुझे ना चाहकर बहूत कुछ खोते हैं।।
मेरी हर एक सांसो में, छिपी थी उनकी यादे
लेकिन वे अभिमान और स्वार्थ से प्रेरित होते हैं।
झूठे हँसी मुझे दिखाकर कहते थे कि
तेरे लिए प्यार की खेती जोते है।।
देख कर उनके आंखों में आंसू
दर्द तो मुझे बहुत होते हैं।
लेकिन उन्हें कभी एहसास नहीं हुआ।
कि अपने तो अपने होते हैं।।
दर्द मूझे इस बात का नही कि
उन्हें मेरे लिए ख्याल नही होते हैं।
लेकिन अफसोस इस बात का
कि वे इतना बेरहम क्यो होते है।।
सोचा था निभाउंगा रिश्ता अंतिम सांसो तक
मुझे नहीं पता कि वे लोग भी ऐसे होते है।
मतलब जब निकला अपना तो मुझे समझ आया
कि अपने भी बेगाने होते हैं।।
सुना हूँ कि रिश्ते तो निभाए जाते हैं दिल से
जो दिल❤️ से जुड़े होते है।
पर अब इन बातों पर मुझे यकीन नही क्योंकि
उनके लिए रिश्ते खून के होते हैं।।
(अनु कुमार ओझा)