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4 Jul 2021 · 2 min read

स्वामी विवेकानंद जी ️

एक ऐसी शख्सियत जिनका हर लफ्ज़ आपको तराश सकता है…मौत नहीं छूती ऐसे मन को
वो ना होकर भी बस रोशन करता रहता है
खुद से होकर गुजरने वाले हर अंतर्मन को
आप चाहें या ना चाहें
आपका हृदय ज्यों ज्यों आत्मसात करता जाता…इस महायोगी को
कभी बुंद कभी समंदर बनकर

अपमान आपको डराता नहीं
अवसाद
आपको चोट पहुँचाकर वापस हो जाता है
फिर से नयी नकारात्मक कोशिशों में लिप्त नये हथियार के प्रयोग को व्यथित

आप फिर आहत होंगे…काँपेंगे..उम्मीद के गर्वित सिरों का व्यवहार देख…

पर इन परिस्थितियों में भी आपका धर्म आपको याद रहेगा
हर दर्द हर तकलीफ के ऊपर कवच बनकर

कोख और परवरिश की गरिमा याद रहेगी
याद रहेगा आपका मनुष्य होना

घृणा के अंतिम चरम के सामने डटकर खड़ा रहेगा आपका प्रेम

जो आपने निस्वार्थ समर्पित भाव से क्यारी के हर पौधे को दिया है…

विपरीत से विपरीत परिस्थितियाँ और लगे अनगिनत कलंक ईकदिन खुद आपको पवित्र अग्नि के लौ में मुक्त कर देंगे

जब भी मान और निलाम आमने सामने खड़े हों

तय मानिये

जलसमाधि का वक्त है

डुब गये……एक और जनम होगा

बच गये……सब सुंदर होगा

एक बार एक पूजा की किताब में इनकी लिखी चार लाइनें
पढ़ी थी मैंने….

जमाने पहले

खुद को नहीं भुलने दूँ कोशिश रहती है ….जिस दिन भूल जाउं….शायद रहना मुश्किल हो…… इस धरती पर…

स्वामी विवेकानंद जी,

जरूरी नहीं ग्रंथों के पन्ने खत्म करना
हाँ जो आँखों से होते हुये हृदय में उतर जाय…याद रखिये जब तक सांसे हैं…

अगर गोद हरी है…तो बच्चों के हृदय तक पहुँचने में उनकी मदद किजीये….ताकि कल जब आप उनके साथ न हों

कोई भी पराया अपना कह कर उसे तोड़ न पाए
कोई भी फाँसी या जहर उसकी तरफ देखने की हिम्मत न करे

जितना दर्द उसे अपनी या अपनों की खरोंच से हो उतना ही दर्द किसी निर्दोष की चोट से हो

जनम दिया है तो जिम्मेदारी है

संवेदनशील मनुष्य बनाइये अपनी परवरिश को

ये मदद करेंगे जरूरत पड़ी तो
स्वामीविवेकानंद जी वंदन शत् शत् नमन

©दामिनी ✍

Language: Hindi
Tag: लेख
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