स्वामी विवेकानंद जयंती पर
मनहरण घनाक्षरी
विश्व बंधु दिव्य बंधु,योग का अनन्य बन्धु,
ध्यान संग संग बन्धु,सुयोगी ले आइये।
स्वामी हैं विवेकानंद ,युवा हिय के आनंद,
सुख शान्ति में सानन्द, नियोगी भी आइये।
नारी जन जागरण,सत चित आहरण,
शिक्षा दीक्षा आगणन, चिरयोगी आईये।
अन्न धन अभिलाषा, जन करें पूर्ण आशा,
“प्रेम” पूर्ण परिभाषा, प्रेमयोगी आईये।।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, “प्रेम”
सीतापुर