“स्वामीभक्त”
“स्वामीभक्त”
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एक लड़का जिसका नाम सुरेश था।
वह दिन भर भगवान का पूजा करता था।
इसी कारण लोग उसे भक्ता, के नाम से पुकारते थे ।
एक दिन सुरेश पूजा कर रहा था, तभी उसकी मां स्वामी उसे बुलाने लगी की बेटा खाना खा लो।
सुरेश ने कोई जवाब न दिया, क्योंकि वह पूजा कर रहा था।
जब वह पूजा करके उठा तो, उसकी मां ने कहा बेटा तुम इतनी विलंब से और इतनी देर रोज पूजा क्यों करते हो, अगर पूजा करनी ही है तो एकदम सुबह उठा करो और जल्दी से पूजा करके समय से नाश्ता कर लिया करो। स्वास्थ की रक्षा ही सबसे बड़ी पूजा है, मां ने उसे समझाया पर वह नहीं समझा।
रात को उसके पापा घर आए, थोड़ी देर बाद सुरेश ने अपने पापा से कहा पापा क्या पूजा करना, गलत होता है। उसके पापा ने कहा, नहीं बेटा; ऐसा तुमसे किसने कहा, फिर सुरेश ने कहा; मां ने।
अगले दिन सुरेश के पापा उसकी मां को समझाने लगे की तुमने उसे पूजा करने से मना क्यों किया। उसकी मां ने कहा क्योंकि वह पूजा करने के चक्कर में खाना भी नहीं खाता, हमने तो उसको बस समय से उठने और समय से नाश्ता करने को कहा।क्योंकि उसका स्वास्थ दिनोदिन खराब होते जा रहा है।
इसी पर वो गुस्सा गया।
कुछ दिनों बाद अपनी मां कि बात नही मानने के कारण उसका तबियत बहुत खराब हो गया और उसका पूजा पाठ कई दिनों तक छूट गया। सुरेश बहुत परेशान रहने लगा, क्योंकि उसको भगवान में बहुत आस्था थी, बिना पूजा पाठ के वह नहीं रह सकता था।
अब उसे मां की बात याद आने लगी और उसे बहुत पछतावा हुआ की यदि वो समय से मां की बातों को सुना और उसका पालन किया होता तो, आज वह ठीक होता और उसका पूजा भी नहीं छूटता।
फिर वह समय से सब कुछ करने लगा , और मां की बातों का पालन करने लगा।
फिर वह पूरा स्वस्थ रहने लगा और स्वामीभक्त के नाम से जाना जाने लगा।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि समय के महत्त्व को समझना चाहिए और अपने माता पिता की बात माननी चाहिए।
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..✍️प्रांजल
.. कटिहार।