स्वाधीनता
हर एक मनुष्य की आकांक्षा स्वाधीनता,
सभी को प्रेयसी निजी स्वाधीनता,
फिर क्यों उँचाना चाहते वो?
दूसरे को पराधीन वो।
हम दूसरे को पराधीन बनाएं,
यह न्यायोचित लगता हमें,
दूसरे हमें पराधीन बनाए तो,
लगता हमें अन्यायोचित है,
यह कैसी सोच हमारी?
इसको हमें बदलना होगा।
पंछी जब केज में मुद्रित बसेरा,
इशरत की जिंदगी मिलने पर भी,
ना होता संतुष्ट वो,
एकल स्वतंत्रता की खुशियों से ही,
होता वो संतुष्ट है।
धरा के सभी प्राणी में,
किसको प्रेयसी निजी पराधीनता,
सभी को प्रेयसी यथैष्ठ निजी स्वाधीनता,
ना स्वीकार हमें पराधीनता,
तो मत बनाओ दूसरे को पराधीन।
नाम :- उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार