स्वाधीनता आंदोलन की समाज वादी विचार धारा
सन् १९१७ की सोवियत क़ांति का असर, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर पड़ा
नौजवानों लेखकों बुद्धिजीवियों, मध्यम वर्ग पर पड़ा
भगतसिंह, भगवती चरण वोहरा, चंद्र शेखर आजाद, शचींद्रनाथ सान्याल, खुदीराम बोस, अशफाक उल्ला खान, राजगुरु सुखदेव, नौजवानों ने सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी का गठन किया
सशस्त्र विद्रोह का आवाहन किया
अदम्य साहस त्याग और समर्पण ,वलिदान दिया
क्रांति का उद्देश्य सिर्फ गोरे अंग्रेजों को भगा
काले लुटेरों का शासन स्थापित करना लक्ष्य नहीं
किसी भी तरह का शोषण स्वीकार नहीं
यही थी समाज वादी विचार धारा
कांग्रेस में समाज वादी विचार धारा बाले प्रमुख नेता
आचार्य नरेन्द्र देव, जयप्रकाश नारायण, डॉ राम मनोहर लोहिया,ई एम एस नंबूदरी पाद,एन जी गोरे, मोहन लाल गौतम,मीनू मसानी,डा संपूर्णानंद, अच्युत पटवर्धन, आचार्य कृपलानी,, कमलादेवी चट्टोपाध्याय,एस एम जोशी,नवकृष्ण चौधरी, राम वृक्ष बेनीपुरी और भी कई नाम थे
इन समाज वादी विचार बाले नेताओं के, कांग्रेस से मतभेद चलते रहे
आखिर डॉ राम मनोहर लोहिया ने,२१ मार्च १९४८ को
समाज वादी पार्टी बनाई
लोकतंत्र, धर्म निरपेक्षता,मानव अधिकार, समानता के लिए लड़ने के संकल्प के साथ