स्वाद
रामलाल का बड़ा कारोबार है, खूब पैसे वाले है नौकर-चक्कर है । नौकर , बहू और पत्नी उनके नाश्ते खाने का समय पर पूरा ध्यान रखती । बेटे बहू सब थे, उन्हें बड़ा गर्व था । खाने नाश्ते में थोड़ी भी देर होती वह घर सिर पर उठा लेते थे ।
पत्नी का देहान्त हो गया , बहू बेटे सब अपने काम में व्यस्त रहते या यूं समझो वह रामलाल की अनदेखा करते रहते ।
6 बजे मिलने वाले नाश्ते का 9 – 10 बजे तक कोई ठिकाना नही रहता ऐसे ही खाने का समय निश्चित नहीं रहता ।
शरीर कमजोर हो गया था वह खाने के लिए दूसरों पर आश्रित हो गये थे । रामलाल को अब भूख का स्वाद महसूस हो रहा था ।
संतोष श्रीवास्तव भोपाल