स्वागत
कतैक दिन बाद
गमैक उठल आगन
परदेशी आबि रहल
साजल अछि स्वागत
मुदा टिकुली टेढ़ भने
ललकी नूआ पेन्ह कनै
हर्षित आछि तन आ मन
सभऽ साजल अछि
स्वागत स्वागत
त्रिकोण चबुतरा दुआर
तुलसी माता के पुजा
प्रेम आब उड़ेल हे सखी जाउ
सभऽ साजल अछि
स्वागत मे पुष्प बिछाउ
देखू,जेसै रहै दुर कने
स्नेह प्रेम अंकुरित प्रफुल्लित
बड दिवस केर धरि
सभऽ साजल अछि
स्वागत स्वागत
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य