स्वागतम् हिन्द का गौरव बढ़ाने वालों…
स्वागतम् हिन्द का गौरव बढ़ाने वालों…
स्वागतम् सुस्वागतम्
हिन्द का गौरव बढ़ाने वालों
गगनभेदी उद्घोषों में
विजयी पताका चहुंओर फहराकर
राष्ट्रगान का मान बढ़ाने वालों।
स्वर्ण, रजत, कांस्य में कोई फर्क नहीं,
सब मातृभूमि के चरणों में हैं अर्पण।
दृढ़ संकल्पित स्वर्ण लक्षित
लबरेज उन्माद,विजयी प्रमाद
हताशा निराशा से करो दूर
अब अपना मन मस्तिष्क।
जो गए थे सबके सब हैं
मातृभूमि का मान बढ़ाने वाले।
कुछ ने इस बार फहराई पताका
शेष अगली बार छू लेंगे शिखर।
देख लेना अपने दम से
सीना फिर कर देंगे गर्वित।
और.. अतीत कर देंगे विस्मृत।
विश्व सरोवर में और प्रस्फुटित होंगे
जलजात सरसिज नीरज पंकज।
रोशन करने और उदित होंगे
भास्कर दिनकर रवि प्रभाकर।
और अधिक क्या बखान करूँ
नग रत्न मणि अचल नगीना
कष्ट हरेंगे ‘नवीन’ बन संकटमोचक
बजरंग सिंधु मीरा और लवलीना।
– सुशील कुमार ‘नवीन’
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद हैं।