स्वर कहां से लाऊं
स्वर कहां से लाऊं….
आगत स्वर, आहत स्वर
तुम प्राण प्रिये, मैं नश्वर
शांति मन की यही वेदना
संताप स्वरों की संवेदना।
स्वर-स्वर में निशब्द यहां
स्वर-स्वर अभिशप्त यहां
जीवन के इस रंगमंच पर
गूंजन गायन तृप्त कहां।।
स्वर कहां से लाऊं….
आगत स्वर, आहत स्वर
तुम प्राण प्रिये, मैं नश्वर
शांति मन की यही वेदना
संताप स्वरों की संवेदना।
स्वर-स्वर में निशब्द यहां
स्वर-स्वर अभिशप्त यहां
जीवन के इस रंगमंच पर
गूंजन गायन तृप्त कहां।।