स्वराज्य
स्वराज्य
भारत माता व्यथित आज़ भी, अपनी ही संतानों से!
त्राहि त्राहि करती है जनता, ज़ननायक नादानो से!!
ज़न नायक को चुन कर भेजते, बड़े बड़े अरमानो से!
पांच वर्ष के बाद निकलते, अपनी आरामगाहो से !!
लोक लुभावन स्वप्न दिखाते, हमदर्दी सदा ज़ताते हैं !
ज़िन्होने उनको चुनकर भेजा, उन्हें नज़र नहीं आते हैं !!
नहीं विकास ज़न साधारण का, यह कैसी आज़ादी है ?
भरी तिज़ोरी अपने घर की, ज़न धन की बर्बादी है !!
हर पल रंग बदलता गिरगिट, वह भी इनसे शर्माता है !
पर ज़न नायक बड़ा रंग रंगीला, हर पल पल्टी खाता है !!
खूब घोटाला करने वालों, तुम कैसे ज़न नायक हो ?
लोकतंत्र के हो हत्यारे, नायक भी न बनने लायक हो !!
कर्ज़े उनके माफ़ हो रहे, जो देश छोड़ कर भागे हैं !
बलिबेदी पर वही चढ़ रहे, कर्ज़ अदा न कर पाए हैं !!
अपना ही धन नहीं मिल रहा, ऐसी नीति बनाई है !
धन मायूसी से कितनों ने, अपनी ज़ान गनवाई है !!
हम मतदाता ज़ागरूक हैं, हम भी अधिकार जताएन्गे!
ज़िसने किया विकास हमारा, उस पर ही बटन दबाएन्गे !!
राष्ट्र पर्व पर शपथ ले रहे, हम सबका एक नारा है !
बातों में न आने वाले, सिर्फ़ विकास हमें प्यारा है !!
भिक्षा हमको नहीं चाहिए, रोज़गार के अवसर दो!
भ्रश्टाचारी बन्द करो और, सड़क मार्ग और बिज़ली दो !!
ज़न कल्याणी योज़नाये बनाकर, निर्बल को भी शक्ति दो!
आशंका, आतन्क, लूट से, निर्भय कर इनसे मुक्ति दो!!
उन्नत शिक्षा देकर हमको, ऊन्ची उड़ान के अवसर दो!
भूखे, प्यासे निराश्रितो को भी, ज़ीने का अवसर दो!!
असमन्ज़स्ता के आँसू पोंछकर, प्यार के आँसू छलकने दो!
नौनिहाल और आखिरी ज़न के, चेहरे पे मुस्कान झलकने दो!!
आज़ादी का स्वप्न हमारा, तभी पूर्ण हो पाएगा!
आम आदमी तड़प रहा ज़ो, तभी स्वराज्य को पाएगा!!
आर एन यादव