स्वरचित दोहे
स्वरचित दोहे
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छोटे मुँह की बात भी,ऊँची राह सुझाय ।
सीख कहीं से भी मिले, सीखो ध्यान लगाय ।।
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औरन को अपना कहें , सुनते उनकी बात
अपनों की सुध है नहीं उनसे करते घात)
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ऐसा नाम कमाइए, मन के खोले द्धार
अपनों की सुध लीजिये, बढे प्रेम व्यव्हार
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खुशियों की खामोशियां , खा जाती सुख चैन।
यादें ना हो साथ तो ,दिन बीते ना रैन ।।
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Alka S.Lalit
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