स्वयं को पहचानना ज़रूरी है
मनुष्य इस संसार में असंख्य जीव-जन्तुओं के होते हुए भी सबसे अद्वितीय ही नहीं बल्कि ऊपर वाले की सबसे अनमोल कृति भी है। ईश्वर ने जिन विशेषताओं से मनुष्य को नवाज़ा हैं वे गुण और विशेषताएं किसी अन्य जीव में देखने को नहीं मिलती सिवा हम मनुष्यों के ऐसी अवस्था में मनुष्य की ज़िम्मेदारी बनती है कि वह ईश्वर की इस अनमोल कृति पर कभी भी कोई आंच न आने दें, य अलग बात है कि मनुष्य होकर कितने मनुष्य रह पाते हैं, व्यक्तित्व को सकारात्मक रूप में इस प्रकार निखारें कि समाज के लिए स्वयं को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत ही नहीं बल्कि प्रमाणित भी कर सकें।
मनुष्य होने के कारण प्रत्येक मनुष्य में कुछ विशेष गुण और कुछ विशेषताएं पाई जाती हैं लेकिन यह और बात है कि इन गुणों और विशेषताओं का आभास हर किसी को नहीं हो पाता, बहुत कम लोग ही ऐसे होते हैं जो अपने गुणों और अपने अंदर छिपी प्रतिभा को पहचान कर अपने अस्तित्व को मनवा पाते हैं और अपने अद्वितीय होने का प्रमाण भी प्रस्तुत करते हैं वरना ऐसे लोगों का कोई अभाव नहीं जो केवल दूसरों की प्रशंसा व गुणगान कर करके स्वयं को हीनता के गर्त में धकेलने से भी गुरेज़ नहीं करते।
ऐसा नहीं है कि हमें किसी अन्य की प्रशंसा या उसका गुणगान नहीं करना चाहिए, करना चाहिए लेकिन अपने व्यक्तित्व को कम आंककर दूसरे को उठाना किसी भी रूप में उचित नहीं, स्वयं को नकारने वाले लोग नकारात्मक प्रवृत्ति के ही नहीं होते बल्कि उनका स्वयं पर विश्वास भी शून्य ही होता है। ऐसे लोग कब दुनिया में आते हैं और दुनिया से रुखसत हो जाते हैं पता ही नहीं चलता। इसे हम दुर्भाग्य ही कहेंगे कि हमारे समाज में ऐसे लोगों की संख्या असंख्य है ऐसे लोग जो दूसरों के गुणों से प्रभावित होकर उन्हें सम्मान तो प्रदान करते हैं लेकिन अपने अन्दर छुपी प्रतिभा को, अपने मूल्य को, अपनी विशेषताओं को पहचान ही नहीं पाते।
यदि मनुष्य अपने जीवन के मूल्य को समझ लें और सकारात्मक सोच के साथ अपने गुणों और विशेषताओं को निखारने का प्रयास करें तो मुझे लगता कि उनके अन्दर की प्रतिभा उभरकर सामने न आये, जीवन में मिलने बाली असफलताएं सफलताओं में परिवर्तिन हो जाये। प्रयास तो केवल हमारा स्वयं का सही मूल्यांकन करने का होना चाहिए, इस बात को हमें सदैव स्मरण रखना चाहिए। हम स्वयं को अपनी दृष्टि में जितना ऊपर उठायेंगे, जितना मूल्यवान समझेंगे, उतना ही दूसरे भी आपको सम्मान भी देंगे और मूल्यवान भी समझेंगे, बस जरूरत केवल आपकी स्वयं में आत्मविश्वास उत्पन्न करने की होनी चाहिए और यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपना क्या मूल्य आंकते हैं और स्वयं को कितना महत्व प्रदान करना जानते हैं।
डॉ. फौजिया नसीम शाद.