**स्वयं की बात**
दूसरों में नुस्क निकालने ,
यूँ न करो वक्त बरबाद
स्वयं का विश्लेषण कर, स्वयं की बात करो।।
न चलो टेड़ी चाल, न चलो तुम उल्टी चाल
कदम से कदम मिलाकर तुम लक्ष्य की बात करो
न बनो साधु, न बनो पुजारी
नेक मानव बनकर तुम स्व जगत की बात करो।।
न बनो जोकर, न बनो तुम भिखारी
राजगीर बनकर स्व का व्यापार करो
दूसरों में नुस्क निकालने ,
यूँ न करो वक्त बरबाद
स्वयं का विश्लेषण कर, स्वयं की बात करो।।
दर्पण देख कर ,स्वम के वयक्तिव का निखार करो
रचनाकार – 😇 डॉ० वैशाली ✍🏻