स्वयं का स्वयं बचाव करो!
एक विषाणु जो है जन्मा,
हमारी मानवीय भूल से।
पड़ा विश्व खतरे में ,
जिसके भीषण शूल से।
अब रहना होगा संयमित ,
खुद के प्रति होकर संकल्पित।
तभी होगा इससे बचाव,
मिटेगा ये अपने मूल से।
रहें सुरक्षित, रखें सुरक्षित ,
अपने को और परिवार को।
रहें भीड़ से दूरी बनाकर ,
रोको इस वायरस के प्रसार को।
अपनाकर कर यह मूलमंत्र,
संक्रमण से बचो ओर कार्य करो।
मॉस्क लगाकर निकलो घर से,
‘दीप
-जारी.’स्वयं का स्वयं बचाव करो।
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©कुल’दीप’ मिश्रा