स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
फरेबियों से बच कर रहना , दुर्बलता का त्याग करो तुम
पंकज से तुम पावन रहना , सत्य राह निर्बाध बढ़ो तुम
कर्म राह आदर्श हो तेरा , तपस्वी सा जीवन जियो तुम
बाधाओं से मत घबराना, स्वयं पर विश्वास करो तुम
गरिमामय हो छवि तुम्हारी , रत्नाकर सा ह्रदय विशाल बनो तुम
मनभावन हो रूप तुम्हारा , खुद से ही प्यार करो तुम
अहंकार तुझको न घेरे , ऐसे सुप्रयास करो तुम
मर्यादित जीवन हो तेरा , ऐसे कुछ आदर्श वरो तुम
आकर्षक व्यक्तित्व हो तेरा , ऐसे संस्कारित बनो तुम
धर्मानुकूल आचरण हो तेरा , ऐसे सन्यासी बनो तुम
अभिनन्दन हर जगह हो तेरा , ऐसे व्यक्तित्व बनो तुम
प्रभु भक्ति में जीवन बीते , सर्वश्रेष्ठ भक्त बनो तुम
नैतिकता हो राह तुम्हारी , ऐसे उत्तम चरित्र बनो तुम
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
फरेबियों से बच कर रहना , दुर्बलता का त्याग करो तुम ||
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “