Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Mar 2022 · 1 min read

स्वप्न

आँखों मे बसे कुछ सपने है, कभी होंगे सच तो कुछ रह व् छूट जाते है । सपनो की दुनिया मे अजीब कश्मकश है।
बन्द आँखों से दिखाई देता सब कुछ है, जब आँखें खुलती है। तो सब खत्म हो जाता है।
चंद लम्हों की इस दुनिया मे, मिल जाता सब है।
प्यासी आँखे ढूढ़ती है, उस अनंत को।
पर सपनो की इस दुनिया मे, इस सजीव सपने को भूल जाते सब है। अपने अपने को समझते सभी, सुपर्ब हकीकत से अनभिज्ञ। स्वरचित रचना सुनीता गुप्ता
राष्ट्रीय प्रचारिका प्रति श्रुति भारत साहित्य संगम नारी शक्ति
कानपुर उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
420 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
राम नाम सर्वश्रेष्ठ है,
राम नाम सर्वश्रेष्ठ है,
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
किसान
किसान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
शेखर सिंह
इतना गुरुर न किया कर
इतना गुरुर न किया कर
Keshav kishor Kumar
बरसात
बरसात
Dr.Pratibha Prakash
प्रेम के नाम पर मर मिटने वालों की बातें सुनकर हंसी आता है, स
प्रेम के नाम पर मर मिटने वालों की बातें सुनकर हंसी आता है, स
पूर्वार्थ
प्रेम ही जीवन है।
प्रेम ही जीवन है।
Acharya Rama Nand Mandal
ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी,
Santosh Shrivastava
उम्रभर रोशनी दिया लेकिन,आज दीपक धुआं धुआं हूं मैं।
उम्रभर रोशनी दिया लेकिन,आज दीपक धुआं धुआं हूं मैं।
दीपक झा रुद्रा
क़ुर्बानी
क़ुर्बानी
Shyam Sundar Subramanian
भटकती रही संतान सामाजिक मूल्यों से,
भटकती रही संतान सामाजिक मूल्यों से,
ओनिका सेतिया 'अनु '
*मर्यादा*
*मर्यादा*
Harminder Kaur
दास्ताने-कुर्ता पैजामा [ व्यंग्य ]
दास्ताने-कुर्ता पैजामा [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
"अनमोल"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं जिन्दगी में
मैं जिन्दगी में
Swami Ganganiya
5
5"गांव की बुढ़िया मां"
राकेश चौरसिया
आधुनिक हिन्दुस्तान
आधुनिक हिन्दुस्तान
SURYA PRAKASH SHARMA
हर दिल-अजीज ना बना करो 'साकी',
हर दिल-अजीज ना बना करो 'साकी',
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ना समझ आया
ना समझ आया
Dinesh Kumar Gangwar
समझ आती नहीं है
समझ आती नहीं है
हिमांशु Kulshrestha
"परिश्रम: सोपानतुल्यं भवति
Mukul Koushik
...
...
Ravi Yadav
हमें लिखनी थी एक कविता
हमें लिखनी थी एक कविता
shabina. Naaz
उल्लू नहीं है पब्लिक जो तुम उल्लू बनाते हो, बोल-बोल कर अपना खिल्ली उड़ाते हो।
उल्लू नहीं है पब्लिक जो तुम उल्लू बनाते हो, बोल-बोल कर अपना खिल्ली उड़ाते हो।
Anand Kumar
2995.*पूर्णिका*
2995.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
सही ट्रैक क्या है ?
सही ट्रैक क्या है ?
Sunil Maheshwari
हमारी सोच
हमारी सोच
Neeraj Agarwal
"राहे-मुहब्बत" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
गौतम बुद्ध के विचार --
गौतम बुद्ध के विचार --
Seema Garg
Loading...