स्वप्न सजाकर रखो
खो जाने दो खोता है जो
अपनी पहचान बनाकर रखो।
सो जाने दो सोते हैं जो
पर स्वप्न सजाकर रखो।
कहने दो दुनिया जो कहती
मौन साधकर रखो
करने दो करते हैं जो भी
अपना कर्तव्य साधकर रखो।
क्या मतलब है देखे पर को
हम देखें अपने बेहतर को।
मैं हूँ अलग विशिष्ट भाव हो
इसी भाव से न अभाव हो।
हम अपने को केवल समझे
इससे आत्म साक्षात्कार हो ।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र