Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2024 · 1 min read

स्वप्न लोक के खिलौने – दीपक नीलपदम्

फिसल गए हाथ से, स्वप्न-लोक के खिलौने सारे,

ज्यों फ़िसल जाता है

वर्षा-जल पड़कर रेत पर।

व्यर्थ उभरकर रह गईं

भावनायें कोमल सारी,

होती है व्यर्थ मेहनत,

किसान की जैसे, सूखे बंजर खेत पर।

आस का पुष्प

खिलने को जिस पल हुआ,

मुरझाया उसी पल आखिर,

पलता वो कैसे नैराश्य की ओस पर।

भ्रम ही सही, है ये तो,

बना रहने दो,

एक छवि सलोनी देखूँ,

मैं मन मसोस कर।

फिसल गए हाथ से, स्वप्न-लोक के खिलौने सारे।

(c) @ दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्”

1 Like · 143 Views
Books from दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
View all

You may also like these posts

अरे ! पिछे मुडकर मत देख
अरे ! पिछे मुडकर मत देख
VINOD CHAUHAN
तुम्हारी आँखों में समाया है, प्यार
तुम्हारी आँखों में समाया है, प्यार
Harinarayan Tanha
" मजदूर "
Dr. Kishan tandon kranti
अ
*प्रणय*
अंधी पीसें कुत्ते खायें।
अंधी पीसें कुत्ते खायें।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
*प्यासा कौआ*
*प्यासा कौआ*
Dushyant Kumar
***
*** " तिरंगा प्यारा.......!!! " ***
VEDANTA PATEL
- अनदेखा करना -
- अनदेखा करना -
bharat gehlot
पढ़े लिखें परिंदे कैद हैं, माचिस से मकान में।
पढ़े लिखें परिंदे कैद हैं, माचिस से मकान में।
पूर्वार्थ
मैं
मैं
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
Phool gufran
मुझे नहीं पसंद किसी की जीहुजूरी
मुझे नहीं पसंद किसी की जीहुजूरी
ruby kumari
भांथी* के विलुप्ति के कगार पर होने के बहाने
भांथी* के विलुप्ति के कगार पर होने के बहाने
Dr MusafiR BaithA
रिश्तों का बंधन
रिश्तों का बंधन
Sudhir srivastava
प्रेम भरी नफरत
प्रेम भरी नफरत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
डॉ. नामवर सिंह की रसदृष्टि या दृष्टिदोष
डॉ. नामवर सिंह की रसदृष्टि या दृष्टिदोष
कवि रमेशराज
एक दिन बिना इंटरनेट के
एक दिन बिना इंटरनेट के
Neerja Sharma
किशोरावस्था मे मनोभाव
किशोरावस्था मे मनोभाव
ललकार भारद्वाज
अब बदला किस किस से लू जनाब
अब बदला किस किस से लू जनाब
Umender kumar
विजयादशमी
विजयादशमी
Mukesh Kumar Sonkar
हे राम ।
हे राम ।
Anil Mishra Prahari
जीवन का सत्य
जीवन का सत्य
Veneeta Narula
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
बेशक संघ ने काम अच्छा किया है, आगे भी करेगा।
बेशक संघ ने काम अच्छा किया है, आगे भी करेगा।
Ajit Kumar "Karn"
फूल अब शबनम चाहते है।
फूल अब शबनम चाहते है।
Taj Mohammad
यूं ही नहीं हमने नज़र आपसे फेर ली हैं,
यूं ही नहीं हमने नज़र आपसे फेर ली हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
नजरिया
नजरिया
Shekhar Deshmukh
क्षमा अपनापन करुणा।।
क्षमा अपनापन करुणा।।
Kaushal Kishor Bhatt
झूठ का आवरण ओढ़, तुम वरण किसी का कर लो, या रावण सा तप बल से
झूठ का आवरण ओढ़, तुम वरण किसी का कर लो, या रावण सा तप बल से
Sanjay ' शून्य'
तपकर स्वर्ण निखरता है।
तपकर स्वर्ण निखरता है।
Kanchan verma
Loading...