स्वप्न और अभिप्राय
मन के अध्ययन के बिन,
स्वप्न को जानना बामुश्किल है.
मन की क्रियाओं में
सत्व/रज/तम त्रिगुणात्मक है.
अंगों में
अचेतन/अवचेतन/चेतन
अवचेतन मन हमारी बुद्धि का खजाना है.
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चेतन मन के कार्य में असफलता,
स्वप्न के कारण बनते है.
ये एक रेचन हुआ.
दमित वजहों का.
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एक आश्रम की घटना है.
कुछ शिष्यों के अध्ययन के बाद,
गुरु ने परीक्षा में सुबह-सुबह एक शिष्य को रोक कर पूछा रात मुझे एक स्वप्न आया, शिष्य ने गुरु की बात को अनसुना करके,
हाथ में एक पानी को लौटा थमा दिया और कहा मुहं धो लीजिए.
दूसरे शिष्य को रोका, ठीक वैसे ही कहा,
शिष्य ने देखा मुहं तो धो रखा है, एक तौलिया ला कर थमा दिया,
तीसरे ने एक चाय का कप लाकर हाथ में थमा दिया,
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ऐसे तीनों शिष्य परीक्षा में पास हुए और स्वप्न के अर्थ स्पष्ट.
हंस महेन्द्र भारतीय