स्वतंत्रता सेनानी नीरा आर्य
बहुत सुना है, हमने आजादी चरखे से पाई थी।
आजादी के लिए क्या कीमत हमने ना चुकाई थी।
आजादी के लडाई की पूरी गाथा हमसे छुपाई है
आजाद हिन्द फौज ने क्या नहीं लडी लडाई थी।
भारतीय इतिहास की बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थीं
भारत की पहली वह महिला जासूस बनी थी
जासूस नीरा आर्य के बारे में गाथा तुम्हे सुनाता हु,
भारत को स्वतंत्रता दिलाने जीवन मे आग लगाई थी।
5 मार्च 1902 को बागपत जिले मे नीरा आर्य जन्मी थी।
पढ़ाई के साथ ही सुभाष चंद्र बोस के विचारों से प्रभावित थी
वह हिंदी, अंग्रेजी व अन्य भारतीय भाषाएं भी बोल लेती थीं
नीरा आजाद हिंद फौज की रानी झांसी रेजिमेंट में जुड़ गई थीं।
नीरा आर्य के पिता अंग्रेजों से काफी ज्यादा प्रभावित था
इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास से नीरा का विवाह हुआ था
सीआईडी पति को सुभाष चन्द्र बोस की जासूसी कार्य मिला है।
दोनों में मनमुटाव विचार ना मिलने के कारण होने लगा था।
जयरंजन दास बोस को मारने के ठेकेदार बने थे
वह खुफिया तरीके से नेताजी पास जा पहुंचे थे
गोली का शिकार बनाते नीरा ने उन्हें पहचान लिया
अपने पति को पेट में खंजर घोंप मौत के घाट उतार दिया
देखा समर्पण नीरा का बोस ने नीरा नगिनी नाम दिया,
पति की हत्या व जासूसी की काले पानी की सजा मिली
अपने वजन से भारी लौहे की बेड़िया नीरा को पहना दी,
अग्रेजो द्वारा उन्हें नई – नई घोर कठोर यातनाएं दी जाती है।
सुभाषचंद्र बोस की जानकारी व ठिकाना पूछा जाता है।
रोज – रोज की चुपी से जेलर चिढ़ चिढ़ाता है,
हाथों से मुक्का नीरा के मुख पर मारा जाता है।
शरीर के कतरे कतरे से खून बहने लगता है।
नीरा बोल उठी नेताजी मेरे दिल में बसता है
सुन कर जेलर की आँखों में खून उतर जाता हैं
फ़िर नेताजी को दिल से बहार निकला जाता है
लोहार बुलाकर बेड़ियों के साथ चमड़ी काटी जाती हैं
कभी उँगली तो कभी गुटनों पर हथौड़ी मारी जाती है,
खून से लत पत नीरा की लाज उतारी जाती है
नीरा तुम्हारे दिल से हम नेताजी को निकाल देते है।
फिर आँचल पर ही हाथ डाल आँगी को फाड़ते देते है।
अब वह दाएँ स्तन को कैंची से दबाकर काटने लगते है।
शुक्र मानो महारानी विक्टोरिया का आग से नहीं तपाया है
आज़ादी के नाम पर जिन लोगो पर लाठी तोड़ी है
हमने उन्हें भुला दिया इनकी गाथा पृष्ठों मे थोड़ी है
एक पत्थर भी अंग्रेजो की तरफ कभी नहीं उछाला है
उन्ही लोगो को अंग्रेजो को भगाने का श्रेय जानबूझ कर दिया गया।
भारत का बापू, चाचा, गुरुदेव, मदर आदि बना दिया गया।
लीलाधर चौबिसा (अनिल)
चित्तौड़गढ़ 9829246588