स्वतंत्रता दिवस
आज फिर १५ अगस्त है
हर कोई आज़ादी के जश्न में मस्त है
पुलिस वाले कुछ दिन पहले से ही
परेड में व्यस्त है
नौकरशाहों और नेताओं का जलवा,
आज दिखता ज़बरदस्त।
बच्चों ने सारा घर सुबह से सर पर उठाया है
उनके लिये नया-नया १५ अगस्त जो आया है
युवा तो एक दिन पहले से तैयारी करके है बैठे
क्यो की आज बंद रहने वाले है ठेके
महिलाओं को आज भी कहा आराम है
रोज़ से ज़्यादा तो आज काम है
सारे पतियों की है छुट्टी
बन रहे घरो में नये नये पकवान है
देश का क्या कहना है
वह तो निरंतर तरक़्क़ी के शिखर चढ़ रहा है
थोड़ा बन रहा तो थोड़ा बिगड़ रहा है
हर तरफ़ आज भी फैला अत्याचार है
बलात्कार है,भ्रष्टाचार है
मानवता का हो गया अंत है
शैतान घूम रहा बनकर संत है
कही कोई बन गया
ज़रूरत से ज्यादा धनवान है
तो कही कोई भूख और ग़रीबी से
बेतहाशा परेशान है
अस्पताल में मर रहे है बच्चे
और सड़कों पर किसान है
कहने को तो देश लगता आज़ाद सा है
थोड़ा आबाद सा है,थोड़ा बर्बाद सा है
हर तरफ़ बुराई है,समाज हो गया है गंदा
सिग्नल पर एक छोटा बच्चा बेच रहा है झंडा
बह जायेगी उस दिन सच में आज़ादी की गंगा
जब मजबूरी में कोई नही बेचेगा चोराहे-चोराहे पे तिरंगा।
अराजक्ता फैला रखी है
धर्मों के नाम पर
उँगलियाँ उठाई जाती है
ईमानदारों के काम पर
पुरानी संस्कृति का रंग हो चला है फीका
क्यो की अब भारत बनने जा रहा है अमरीका
आधुनिकता के नाम पर बन रहे है उधोग हज़ार
धुँआ छोड़ प्रकृति की छाती करते है तार-तार
प्रकृति को माँ तुम समझो,
ज़रा रखो तो उसका ध्यान
मानवता को धर्म बनालो
करो सबका सम्मान
खतरा तुम पर मँडरा रहा है,
ज़रा बचा लो अपने प्राण
अहिंसा जो तुम अपना लोगे
बन जाओगे गांधी जैसे इंसान
सकारात्मक होगा विचारों में बदलाव
तभी तो होगा देश का कल्याण
तभी तो कहलायेगा मेरा भारत महान।
आज फिर १५ अगस्त है
हर कोई आज़ादी के जश्न में मस्त है।
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें…..।
– अविनाश डेहरिया