” स्वतंत्रता क्रांति के सिंह पुरुष पंडित दशरथ झा “
‘उनकी कहानी श्री प्रफुल्ल चंद्र पट्टनायक के लेख ‘
(दुमका दर्पण पत्रिका – दिनांक 16 अगस्त 1986)
————————————————————–
……मैं जनता हूँ कि पंडित दशरथ झा सन् 1942 की क्रांति के एक पुरुष सिंह हैं । सन् 1942 की उग्र क्रांति का समय अंग्रेजी सत्ता के कट्टर पोषक राय साहेब बी.एन.सिंह जैसा कड़ा आई.सी.एस . डिप्टी कमिशनर और संताल परगने की राजधानी-दुमका जहाँ बी.एम्.पी.का कड़ा पहरा ! उस कड़े पहरे के बाबजूद डिप्टी कमिशनर के कोर्ट पर से यूनियन जैक को उतार फेंकना और उसके स्थान पर राष्ट्रीय झंडे को फहराने का काम था पंडित दशरथ झा का ।
इतना ही नहीं उनका कार्यक्रम योजना बध्य था –टेलीफोन के तार खम्भों को उखाड़ फेंकना ,जिला स्कूल दुमका के छात्रों द्वारा विद्यालय भवन को नुकसान पहुँचाना और सर-सामानों को जलवा देना –सरकारी कार्यालयों में ताला लगवा देना। इनमें उन्होंने काफी सफलता हासिल की जबकि बी.एम्.पी.जवानों का जत्था चप्पे-चप्पे पर मौजूद था ।
पंडित दशरथ झा को भला ये अंग्रेजों के पिट्ठू छोड़ कैसे देते —-उनके मजबूत पीठ पर लाठियों की मार पड़ने लगी और न जाने कितनी लाठियां टूट गयीं । फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर विभिन्न दफाओं में मामले चलाये गए और अंत में उन्हें 17 वर्षों की कड़ी कैद की सजा सुनायी गयी ।
1942 की क्रांति के समय वह दुमका के एक प्राथमिक पाठशाला के शिक्षक थे —–क्रांति की ज्वाला ने उन्हें अपने पद से इस्तीफा देने को वाध्य किया और वह 15 अगस्त 1942 के इस महाक्रांति में कूद गए ……..।
===============================
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका