स्मृति
” दीदी ” , तुमको याद है पिछली बार जब हम सब बहिनें मायके आई थी तो माँ ने कैसे आम के पैर पर झूला डाल रखो थो
बारी – बारी से हम चारों झूलती और सखियाँ झोटा देती थी ।
हाँ बहिना , याद है और गाँव का वो रमुआ पीछे से ऊँचो सो झोटा देकर भाग जात , हम सबन की डर से घिघ्घी बँघ जाती , याद है बहना ।
दीदी , तू उसे पकड़ फिर मारती , याद है तुझे ।
हाँ बहना , छुटकी ने तो कमाल ही कर दियो जैसे रमुआ झोटा देकर गयो वाने ऊपर ते ही आमु उसकी नाक पे ऐसो दियो ,फिर जो हुओ तुझे याद है , दीदी । हाँ बहना ,
दीदी , पर अबके तो जै कोरोना ने ऐसो प्रान पियो है अबके न मिल सकेगीं हम चारों बहना ।
हाँ बहना तू सही कहत है ।