“स्मृति स्पन्दन”
आज मौन में कुछ हलचल सी है ,
नयनों में कुछ कल – कल सी है |
उर -आँगन में मचली गूंज सी है ,
स्मृति-स्पन्दन ये अनबूझ सी है ||
…निधि …
आज मौन में कुछ हलचल सी है ,
नयनों में कुछ कल – कल सी है |
उर -आँगन में मचली गूंज सी है ,
स्मृति-स्पन्दन ये अनबूझ सी है ||
…निधि …