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5 Dec 2020 · 1 min read

स्मृति,…. जागृति

विषय – स्मृति
दिन- शुक्रवार
दिनाँक – 20/11/2020
रचनाकार- रेखा कापसे
************************
दिल दिमाग पर असंख्य,
रेखाएँ खींच जाती है!
चित्त पटल पर जब कभी,
स्मृतियाँ बीछ जाती है!!

खोल देती है बंद पट,
बदले भावों की करवट!
रीत गए जो लम्हें सब,
दृश्य आ जाते झटपट!!

कुछ खट्टे व कुछ मीठे,
कुछ कड़वे से होते छींटे!
भांति चलचित्र कतार से,
जबरन आदि में घसीटे!!

कुछ से उर होता आनंदित,
अश्रु से कुछ सींच जाती है!
चित्त पटल पर जब कभी,
स्मृतियाँ बीछ जाती है!!

समेट आती है बचपन ,
उमर भई चाहे पचपन!
शरारतों से जवानी की,
महका देती है हिय वन!!

थकती नहीं रुकती नहीं,
नीर अनल से बुझती नहीं!
बाँधे बंधन रोक ना पाए,
समक्ष वक्त के झुकती नहीं!!

कर चित्त जागृत हमारा,
आँखे यह भींच लेती हैं!
चित्त पटल पर जब कभी,
स्मृतियाँ बीछ जाती है!!

कुछ यादों में डूब कर,
नयन भरे हो जाते हैं!
जीवन जख्म अतीत के,
फिर हरे हो जाते हैं!!

दिल दिमाग पर असंख्य,
रेखाएँ खींच जाती है!
चित्त पटल पर जब कभी,
स्मृतियाँ बीछ जाती है!!

रेखा कापसे
होशंगाबाद मप्र
रचना पूर्णतः मौलिक स्वरचित हैं!

Language: Hindi
1 Like · 461 Views
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