”स्मृतियां”
देह नाशवान है किन्तु
देह को ज़िंदा रखने के लिए
हर कोई क्या नहीं करता
आत्मा को तो किसी प्रेत की ही संज्ञा दी जाती है
ईमान को ज़िंदा रखने में
किसी की दिलचस्पी नहीं
लिखने वाले बहुत हैं
किन्तु अपने लेखन से असंख्य स्मृतियां दे जाने वाले कुछ ही हैं
याद रखना
देह दिवंगत हो जाता है
और स्मृतियां एक लंबे समय तक यात्रा करती हैं
स्मृतियां जितनी लंबी होंगी
आप उतने ही चिरायु होंगे
देह मात्र एक प्रतीक है
स्मृतियां ही सही मायने में आपके अस्तित्व का प्रमाण है
– विवेक जोशी ”जोश”