स्पेशल होली कविता (हास्य-घनाक्षरी)
स्पेशल होली कविता (हास्य-घनाक्षरी)
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जाइए न ससुराल, बुढ़ऊ मनाने होली
अब नहीं सास, नहीं सालियों की टोली है
अब नहीं ससुर की मनुहार कहीं वहाँ
अब वृद्ध सलहज की नहीं ठिठोली है
सम्मान- मान एक समय की थाली बस
खाइए शराफत से कड़वी ज्यों गोली है
मफलर बाँध- बाँध रहिएगा अब फूफा
अब है बुढ़ापा ,अब कहिए न होली है
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रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा,
रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 999 761 54 51